अमृतसर[पंकजशर्मा]।कईभाषाओंकीजननीसंस्कृत(Sanskrit)पंजाबमेंअपनेवजूदकीलड़ाईलड़रहीहै।सरकारनेइसकेउत्थानवप्रचार-प्रसारसेअपनेहाथपूरीतरहखींचलिएहैं।पंजाबमेंकिसीवक्त90गैरसरकारीसंस्कृतकालेजयासंस्थानथे,जिनकीसंख्याअबमहजसाततकसिमटगईहै।इनकीभीआर्थिकदशादयनीयहै।

अमृतसरकेश्रीलक्ष्मीनारायणसंस्कृतकालेजमेंपिछलेदोवर्षोसेकोईदाखिलानहींहुआहै,इतनाहीनहींएडिड(सरकारीसहायताप्राप्त)स्कूलोंमेंभीसंस्कृतअध्यापकोंकेपदखत्मकरदिएगएहैं।इसवक्तएडिडस्कूलोंमेंसिर्फअमृतसरमेंहीएकसंस्कृतअध्यापकहै।अमृतसरस्थितहिंदूसभास्कूलमेंकार्यरतसंस्कृतअध्यापकहेमराजशर्माडेढ़सालबादसेवानिवृत्तहोनेवालेहैं।

इनस्कूलोंमेंसंस्कृतभाषाकीपढ़ाईकाविकल्पभीखत्मकरदियागयाहै।संस्कृतकाकोईभीअध्यापकभर्तीनहींकियाजारहा।पंजाबमेंसाल1980सेपहलेज्यादातरस्कूलोंमेंसंस्कृतपढ़ाईजातीथी।1980केबादआतंकवादकेदौरमेंइसभाषाकोकाफीनुकसानपहुंचा।साल2009केबादसेसंस्कृतकालेजोंकेलिएपंजाबसरकारवस्कूलशिक्षाविभाग(डीपीआइ)सेकोईग्रांटनहींदीगई।

कभीअमृतसरजिलेमेंहीसंस्कृतपढ़ानेवाले20संस्थानथे,जोअबसिर्फदोहीरहगएहैं।इनकालेजोंमेंशास्त्री,प्रभाकरऔरआचार्यकीपढ़ाईहोतीथी।अभीगुरुनानकदेवविश्वविद्यालयमेंसंस्कृतविभागतोहै,लेकिनयहांविद्यार्थीनाममात्रहीहैं।जीएनडीयूमेंएमएसंस्कृतवपीएचडीकीव्यवस्थाहै,लेकिनविद्यार्थीनहींहैं।

स्वयंसेवीसंस्थाएंउठारहींखर्च

पंजाबमेंअमृतसरमेंदो,दीनानगरमेंएक,होशियारपुरमेंएक,खन्नामेंएक,सरहिंद(फतेहगढ़साहिब)मेंएकऔरकरतारपुरमेंएककालेजहै,जिसकाखर्चस्वयंसेवीसंगठनउठारहेहैं।इनकालेजोंमेंदोसेतीनविद्यार्थीहीहैं।अखिलभारतीयसंस्कृतविकासपरिषदकीकोशिशोंसेशास्त्रीकोग्रेजुएशनऔरआचार्यकोएमएकेबराबरमान्यतामिलगईहै,लेकिनविद्यार्थियोंकाइसओरकोईरुझाननहींहै,क्योंकिरोजगारकेअवसरनहींहैं।

सुनियोजिततरीकेसेकमकिएगएसंस्कृतकेविद्यार्थी:पुष्पराजशास्त्री

श्रीलक्ष्मीनारायणसंस्कृतकालेजकेप्रिंसिपलपुष्पराजशास्त्रीकहतेहैं,'सरकारोंनेसुनियोजिततरीकेसेसंस्कृतकेविद्यार्थीकमकिए।सरकारअगरस्कूलोंमेंसंस्कृतकेअध्यापकोंकीभर्तीशुरूकरदे,तोसंस्कृतदोबाराअपनाखोयासम्मानपासकतीहै।संस्कृतकालेजोंकोप्रतिवर्ष26हजाररुपयेकीमामूलीग्रांटदीजातीथी।वहभीबंदहै।शास्त्रीअध्यापकोंकेपदोंकोबहालकियाजानाचाहिए।संस्कृतभाषाकेअंकोंकोकुलअंकोंमेंजोड़ाजाए,नकिइन्हेंआप्शनलअंकोंकेरूपमेंलियाजाए।आजबीएएमएसकीमेडिकलपढ़ाईकरनेकेलिएसंस्कृतजरूरीहोतीहै,लेकिनविद्यार्थियोंकोसंस्कृतकापूराज्ञाननहोनेकेकारणउनकोआयुर्वेदमेंडिग्रीहासिलकरनेमेंमुश्किलआतीहै।

हम16संस्कारोंकीशिक्षाप्रदानकररहे:डा.प्रेम

अध्यक्षअखिलभारतीयसंस्कृतविकासपरिषदवहिंदूमहासभाकेराज्यप्रभारीडा.शिवकुमारप्रेमकेअनुसारपरिषदकागठनसाल1841मेंलाहौरमेंहुआथा।इसकाकार्यालयअमृतसरमेंहै।संस्कृतकोजीवंतरखनेकेलिएपरिषदहरस्तरपरकोशिशकरतीरहीहै,लेकिनसरकारेंहीगंभीरनहींहैं।संस्कृतमेंशास्त्रीकोग्रेजुएशनवआचार्यकोएमएकेबराबरकरवानेकेलिएकाफीसंघर्षकरनापड़ा।हमभाषाकोप्रोत्साहितकरनेकेसाथ-साथ16संस्कारोंकीशिक्षाप्रदानकररहेहैं।

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