सोनिया,गुरुग्राम

दरबारीपुरगांवनिवासी70वर्षीयडा.हरिसिंहशास्त्रीको'हरियाणासंस्कृतगौरवसम्मान'केलिएचयनितकियागयाहै।उनकोयहसम्मानहरियाणासंस्कृतअकादमीद्वारादियाजाएगा।हरियाणासंस्कृतअकादमीकेनिदेशकडा.दिनेशशास्त्रीनेबतायाकिडा.हरिसिंहशास्त्रीनेसंस्कृतविषयमेंअनेकोंपुस्तकोंकीरचनाकीहै।उन्होंनेसंस्कृतकागौरवबढ़ायाहै।डा.हरिसिंहशास्त्रीनेबतायाकिउन्होंनेशास्त्रीकीपढ़ाईविश्वेश्वरानंदवैदिकशोधसंस्थानहोशियारपुर,पंजाबसेपूरीकीथी।इसकेबादसातबारआचार्यकीपढ़ाईपूरीकी।पीएचडीभीपंजाब,विश्वविद्यालयचंडीगढ़सेपूरीकीथी।

कईविद्यालयवमहाविद्यालयखोलनेमेंदियासहयोग

डा.हरिसिंहशास्त्रीनीलमविश्वविद्यालय,कैथलमेंकार्यरतहैं।इसकेअलावाहरिमंदिरसंस्कृतमहाविद्यालय,पटौदीमेंभीपढ़ातेहैं।उन्होंनेसंस्कृतविषयकेविकासकेलिएप्रदेशमेंपांचमहाविद्यालयखुलवाएहैं।इसकेअलावाकईस्कूलोंकेट्रस्टीभीरहेहैं।उन्होंनेबतायाकिउनकेगुरुआचार्यब्रह्मदत्तवाग्ग्मीद्वारारचितनंबरएक'अद्भुतपंचताकाव्यम'वसंस्कृतकेनौग्रंथोंसमेतकईविषयोंकेशोधपत्रभीप्रकाशितकराएहैं।

पहलेभीमिलचुकेहैंसम्मान

डा.हरिसिंहशास्त्रीकी25पुस्तकेंप्रकाशितहोचुकीहैं।उन्होंनेबतायाकिपांचपुस्तकेंकोरोनाकालमेंलिखीहैं।इनमेंएकमहाकाव्य'साधुपीठमत्रिणेवीमहाकाव्य'हैजोअभीप्रकाशनकेचरणमेंहै।राष्ट्रीयसंस्कृतिसंस्थान,दिल्लीउनकेइसमहाकाव्यकेलिएअनुदानभीदेगा।डा.हरिसिंहशास्त्रीकोइससेपहलेवर्ष2011मेंमहर्षिवेदव्याससम्मानसेसम्मानितकियागयाथा।वर्ष2014मेंउनकेद्वारारचितमहाकाव्य'गुरुगोर्वियम'केलिएभीउन्हेंराज्यस्तरपरसम्मानमिलाथा।इसकेअलावाजिलास्तरपरवराज्यस्तरपरउन्हेंअनेकपुरस्कारमिलेहैं।