सीतामढ़ी।मानसमर्मज्ञप्रसिद्धकथावाचकमोरारीबापूनेकहाकिसमय-समयपरचीजोंमेंपरिमार्जनहोतारहाहै।एकसमयनरबलिदियाजाताथा।पशुवधकियाजाताथा।सुनाया-दीवानोंसेमतपूछो,दीवानोंपरक्यागुजरीहै।जनकस्वयंवरसभामेंकांपक्योंगएऔरकहाकितजहुंआसनिजगृह-गृहजाहुं।गंभीरतासे¨चतनकरनेकाशास्त्रहैरामचरितमानस।कहाएकफिल्मकीपंक्तिहै,कहोतोगांऊ-गैरोपेकरम,अपनोंपेसितम,येजानेवफायेजुल्मनकर।हमचाहनेवालेहैंतेरे,यूंहमकोसतानाठीकनहीं..इसगानेसेश्रद्धालुओंकोसियायुगकीओरलेगए।मेरानामसीताहैवोमेरीमांपृथ्वीकाप्रमाणहै।सबचुपहैं।लक्ष्मणभीचुपहैं।यहांभगवानअवतारहैं।उनकीलीलाकोकोईपरखनहींसकता।मांजानकीकीवाणीमेंविरहहैविवेकहै।सीताशब्दपृथ्वीकीगवाहीदेतीहै।सुनीलक्ष्मणपावकप्रबलवैदेही,हृदयहर्षहीभयकछुदेही।हम¨हदुस्तानकीसंतानहैं।मेरेराज्यकोपूछोश्रीखंड।मैंमिथिलाकीहूं।मेराराष्ट्रमिथिलाहै।सीताजीकाश्रीनामहै।श्रीलक्ष्मीजीहैं।लक्ष्मीकीउत्पतिक्षीरसागरसेहुईहै।मातृशरीरआठवस्तुकीरक्षाकरतीहै।उसमेंसियाजीपूर्णखराउतरतीहैं।भरत,लखनएवंसियाकीप्रीतिकोभगवानरामजानसकतेहैं।लेकिन,कहनहींसकते।

By Doherty