अलीगढ़,जेएनएन।पाश्चात्यसंस्कृतिकीचमकऔरदमकमेंजबयुवापीढ़ीगुमहोरहीहै,बुजुर्गोंकासम्मानकमहोरहाहै।एकसाथपरिवारकेभोजनकीपरंपराखत्मसीहोरहीहै,प्रात:स्मरण,प्रार्थना,पूजनआदिकार्यक्रमसेयुवादूरियांबनारहेहैं।ऐसेसमयमेंकुटुंबप्रबोधनपरिवारनेकदमबढ़ाया।भारतीयसंस्कृतिऔरसंस्कारकोबचाएरखनेमेंबड़ीभूमिकाअदाकररहाहै।संस्थाकेपदाधिकारियोंकाकहनाहैकिजिससंस्कृतिऔरसंस्कारकोपूरीदुनियांअंगिकाररहरहीहै,जीवनमेंसृजनहै,जीवनहै,उसेहमकैसेछोड़दें?हमघर-घरदीपजलाएंगे,फिरभारतीयसंस्कृतिकापताकाघर-घरफराएंगे।अभीयहमात्रशुरुआतहै,कारवांबढ़ेगाऔरलोगजुड़ेंगे।उन्हेंमहसूसहोगाकिकुटुंबप्रबोधनकीपहलसकारात्मकथी।

घनश्यामपुरीनिवासीकुटुंबप्रबोधनकेमहानगरसंयोजकइंजीनियरविशंभरसिंहनेबतायाकिकुटुंबपरिवारराष्ट्रीयस्वयंसेवकसंघकीछहगतिविधियोंमेंसेएकहै।हमसंस्कृतिऔरसंस्कारसेजोड़नेकाकामकरतेहैं।महानगरकोसंघकीदृष्टिसे15नगरोंमेंबांटागयाहै।सभीनगरोंमेंइकाईगठितहैं।2013मेंउन्हेंजिम्मेदारीमिलीथी।उसीकेबादसेउन्होंनेमहानगरमेंकार्यप्रारंभकिया।

संस्कृतिकोबचानेकाउद्​देश्य

विशंभरसिंहनेकहाकिदुनियामेंसबसेप्राचीनदेशभारतहै।जबदुनियामें

सभ्यताएंविकसितनहींथी।तबभारततकनीकीऔरशिक्षाकाकेंद्रहुआकरताथा।नालंदा-तक्षशिलाजैसेविश्वप्रसिद्धशिक्षाकेकेंद्रथे,जहांदुनियासेलोगशिक्षाप्राप्तकरनेकेलिएआतेथे।यहपरंपरातोईसवीसनकेपहलेकीहै।यदियुगमेंचलेंगेतोसतयुग,त्रेताऔरद्वापरयुगलाखोंवर्षोंकाहै।कलयुगहीपांचहजारवर्षसेअधिककासमयबीतगयाहै।तबसेभारतकीपहचानरहीहै।सतयुगसत्यऔरन्यायकेलिएजानाजाताहै।त्रेतामर्यादापुरुषोत्तमश्रीरामऔरद्वापरभगवानश्रीकृष्णकेनामसेजानाजाताहै।विशंभरनेकहाकिकलयुगकीभीगणनाहमारेऋषि-मुनियोंनेकररखीहै।संत-ऋषिऔरगुरुपरंपरानेभारतकोश्रेष्ठबनाया,हमदुनियामेंइसीलिएविश्वगुुरुकेरुपमेंजानजातेथे।

संस्कृतिसेहोतेगएदूर

विशंभरसिंहनेबतायाकिईसवीसनमेंमुगलोंऔरतमामआक्रांताओंकाआक्रमणहुआ।उन्होंनेहमारेमंदिरतोड़े,नालंदा-तक्षशीलाकोतहस-नहसकिया।हमारीसंस्कृतिकोबर्बादकरनेकीकोशिशकी।इसकेबादअंग्रेजोंनेबांटनेकीकोशिशकी।जिसकापरिणामरहाकिहमबिखरतेगए।हालांकि,महानसंस्कृतिसेजुड़ेहोनेकेचलतेहमटूटेनहीं।मगर,धीरे-धीरेअपनीसंस्कृतिसेदूरहोतेचलेगए।आजादीकेबादहमसभीनेउन्नतितोकीमगरहमनेसंस्कारऔरशिक्षापरविशेषध्याननहींदिया।जिसकापरिणामरहाकिहमारेपरिवारबिखरनेलगे।हमपरिवारोंमेंएकसाथबैठकरभोजन,पूजा-पाठआदिकार्यक्रमनहींकरतेहैं।

संघनेउठायाबीड़ा

इंजीनियरविशंभरसिंहकहतेहैंकियहसबदेखकरआरएसएसनेबीड़ाउठाया।कुटुंबप्रबोधनकेमाध्यमसेपरिवारकोजोड़नेकाकामकिया।सप्ताहमेंएकदिनपरिरवारकेसाथसभीकोभोजनकाआग्रहकरतेहैं।परिवारकेसाथपूजा-पाठ,सत्यनारायणकीकथा,हवनआदिकीभीअपीलकरतेहैं।इसकाअसरभीदिखाईदेनेलगाहैे।शहरमेंएकहजारसेभीअधिकपरिवारहैं,जोकुटुंबप्रबोधनसेजुड़गएहैं।वहनियमोंकापालनकररहेहैं।

500परिवारोंनेएकसाथकियाभोजन

सहसंयोजकसुशीलबतातेहैंकिकोरोनाकालमें500परिवारोंनेएकसाथभोजनकरकेएकरिकार्डकायमकरनेकाकामकिया।सभीनेबकायदाभोजनमंत्रकिया।फिरभोजनकीशुरुआतकी।परिवारकेसदस्योंनेअपनेमनकीबातरखी।सुशीलबतातेहैंकिऐसादृश्यदेखकरहरकोईअभिभूतहोगया।उन्होंनेकहाकिबस्तीमेंमंगलकेंद्रभीखोलरहेहैं।अभीहालमेंआनलाइनसामान्यज्ञानप्रतियोगिताकराईगईथी।इसमेंशहरकी100नवदंपतियोंनेभागलियाथा।उनसेरामायण,महाराभारसेजुड़ेसवालपूछेगएथे।सभीनेउत्साहसेभागलिया।