संवादसूत्र,खरसावां:खरसावांकेहरिभंजाचौकसेनंदुडीहगांवतकजानेवालीसड़कजर्जरहोचुकीहै।लगभगढाईकिमीलंबीइससड़ककीमरम्मतआठसालपूर्वहुईथी।वर्तमानमेंसड़ककापीचपूरीतरहसेउखड़चुकाहै।सड़कपरगड्ढेयापत्थरदिखाईदेरहेहैं।सड़कपरजगहजगहगड्ढेहोगयेहै।बारिशकेमौसममेंहल्कीबारिशकेबागगड्ढोंमेंपानीभरजाताहै,जिसकेकारणअक्सरदुर्घटनाएंहोतीरहतीहैं।नंदुडीहचौकसेनंदुडीहगांवतकमिट्टी-मोरमकीसड़कभीखराबहोगईहै।इससेलोगोंकोआवागमनमेंपरेशानीहोरहीहै।इससड़कसेरोजानायात्रीवाहनोंकेसाथ-साथमालवाहकवाहनोंकाभीपरिचालनहोताहै।इसमार्गसेआसपासकेलगभगएकदर्जनगांवकेलोगआवागमनकरतेहै।बड़ीसंख्यामेंस्कूलीछात्र-छात्राएंभीपढ़ाईकेलिएइसीसड़कसेखरसावांजातीहैं।नंदुडीहकेग्रामीणोंनेगुरुवारकोबैठककरप्रशासनसेसड़कनिर्माणकरानेकीमांगकीहै।ग्रामीणोंनेबतायाकिजर्जरसड़कहोनेकेकारणअक्सरदुर्घटनाएंहोतीरहतीहैं।सड़कबनजानेसेगांवकेलोगोंकोआवागमनमेंकाफीसुविधाहोगी।नंदुडीहगांवकेसुकरासोय,दुंबीसिजुई,दारासिंहजामुदा,सिकारसोरेन,पेंडेहो,मंगलहोआदिनेप्रशासनसेसड़ककाजीर्णोद्धारकरानेकीमांगकीहै।