अपनेदेशमेंनारीबहुतसम्माननीयहै।उसेआदरकेभावसेदेखाजाताहै,परकईबारउसकीउपेक्षाहोतीहै।ऐसेमेंसमाजकोनारीसम्मानकेप्रतिजागरूककरनेकाएकछोटासाप्रयासस्नातककेछात्ररोहितकुमारकरतेहैं।वहपेशेवरमूर्तिकारनहींहैं,लेकिनकलाकेकद्रदानहैं।अपनेहाथसेघरेलूबेकारवस्तुओंसेदेवीकीमूर्तियांबनाकरउसकेसाथनारीसम्मानकेश्लोकवस्लोगनलिखतेहैं।

शहरकेरेलवेकालोनीमेंरहनेवालेइसछात्रकीसोचकुछअलगहै।वहचाहतेहैंकिसमाजमेंसंस्कारबचारहे।अनुशासनकीडोरनटूटनेपाए।लोगबेटियोंकीसुरक्षाऔरसम्मानकरें।इसकेलिएअपनेहाथकेहुनरकोजरियाबनाया।वहनारीकेदेवीस्वरूपकीझांकीहरनवरात्रमेंसजातेहैं,ताकिलोगजागरूकहों।यहमूर्तिवहअपनेहाथोंसेबनातेहैं,वहभीघरेलूसामानसे।इसेबनानेमेंपुरानेअखबार,खराबहोचुकेआटे,साबुन,मिट्टी,रंगकाइस्तेमालकरतेहैं।वहचाहतेहैंकिवहनारीसशक्तीकरणकीभावनाकोप्रदर्शितकरनेकेलिएऔरभीसुंदरमूर्तिबनाएं,इसकेलिएवाराणसीसेकुछसामानकीजरूरतपड़ेगी,जिसेजुटानेमेंअभीआर्थिकपरेशानीआड़ेआरहीहै।रोहितबतातेहैंकिअभीसबसेअधिकध्यानपढ़ाईपरदेरहेहैं।मूर्तिबनानेकाकामइसबारकोरोनाकेकारणगतिनहींपकड़पारहा।झांकीवपंडालसजानेपररोकलगीहै।ऐसेमेंघरमेंहीदरबारसजानेकेलिएछोटीमूर्तिबनानेकीसोचरहेहैं।यहमूर्तिबेटीबचाओ-बेटीपढ़ाओकीथीमपरहोगी।

By Edwards