सुपौल।दिव्यज्योतिजाग्रतिसंस्थानकेतत्वावधानमेंसिमराहीबाजारस्थितमीनाबाजारकेमैदानमेंआयोजितपांचदिवसीयश्रीरामचरितमानसएवंगीताज्ञानयज्ञकेचौथेदिनबुधवारकोसदगुरुसर्वश्रीआशुतोषमहाराजजीकेशिष्यस्वामीयादवेद्रानंदजीनेश्रीरामचरितमानसकेचौपाईकेमाध्यमसेसमझातेहुएकहाकिश्रुतिपुराणसबग्रंथकहीं।रघुपतिभगतिबिनासुखनाहीं।अर्थातहमारेसमस्तधार्मिकग्रंथएवंमहापुरुषोंनेकहाकिईश्वरकीभक्तिकेबिनाकोईभीमनुष्यसुखीनहींहोसकताहै।परविडंबनाहैकिआजमनुष्यअपने-अपनेतरीकेसेलगभगसभीभक्तिकरतेहैंफिरभीवेदुखीहैं।इसकामूलकारणहैकिसभीमनकीभक्तिकरतेहैं।महापुरुषोंद्वाराबतायेगयेशाश्वतभक्तिकीवास्तविकविधिकोनहींजानते।उन्होंनेकहाकिभक्तिकाअर्थहोताहैजुड़नायामिलनाऔरहमपरमात्मासेतबमिलेंगेजबपरमात्माकोदेखेंगे।भगवानश्रीकृष्णनेअर्जुनसेकहाकितुममुझेइनस्थूलनेत्रकेद्वारानहींदेखसकते,मैंतुझेदिव्यचक्षुप्रदानकरताहूंजिससेतुममेरेवास्तविकरूप(प्रकाश)कोदेखपाओगेऔरउन्होंनेदिखाया।वर्तमानसमयमेंभीअगरपूर्णसदगुरुकापदार्पणहोतोवहअपनीकृपासेशिष्यकेअंदरदिव्य²ष्टिप्रदानकरईश्वरकेवास्तविकरूप(प्रकाशरूप)कासाक्षात्कारकरासकतेहैंऔरआपकोशाश्वतभक्तियानीपरमानन्दसेजोड़सकतेहैं।अंतमेंउन्होंनेकहाकिसर्वश्रीआशुतोषमहाराजजीकीकृपासेइसशाश्वतयुक्ति(ब्रह्मज्ञान)कोप्राप्तकरलाखोंलोगआनंदमयजीवनजीरहेहैं।आपभीप्राप्तकरसकतेहैं।गुरुभाईकैलाशएवंगुरुभाईअजीतद्वारासुमधुरभजनोंकागायनकियागयातथागुरुभाईप्रवेशएवंचंदनद्वाराभजनोंकोतालवलयवद्धकियागया।कथास्थलपरश्रद्धालुओंकीभारीभीड़देखीगई।स्थानीयग्रामीणकार्यक्रमकोसफलबनानेमेंलगेहुएथे।