सीतामढ़ी।जिलामुख्यालयडुमराकेशंकरचौकपरस्थितकालीमंदिरहै।जहांहरदिनबड़ीसंख्यामेंश्रद्धालुपहुंचकरअपनीश्रद्धानिवेदितकरतेहैं।यहांदर्शन-पूजनकोआनेवालेभक्तोंकोअसीमशांतिकाअनुभवहोताहै।कईभक्ततोसुबह-शामहोनेवालीआरतीमेंशामिलहोतेहैं।स्थानीयलोगोंकेअलावादूर-दराजसेभीलोगआतेहै।इतिहास:
स्थानीयलोगोंकेअनुसार,60केदशकमेंयहांखालीजमीनथी,जहांपाकड़काएकविशालपेड़था।वर्ष1961मेंउसपेड़केनीचेडुमराकचहरीमेंकार्यरतअवधेशकुमारआनंदनेमंदिरबनवाकरशिवलिगकीस्थापनाकी।इसकेबादसीतामढ़ीशहरकेरामलखनपेंटरसेमाताकालीकीप्रतिमाबनवाई।इसदौरानसुदर्शनजीमहाराजतथाउनकीपत्नीकृष्णासिन्हायहांअक्सरदर्शन-पूजनकोआतेथे।मंदिरनिर्माणकेबादसुदर्शनमहाराजनेयहांमाताकालीकीप्रतिमास्थापितकी।इसकेबादउक्तगहवरमेंहीरामकृपालबाबूनेबनारससेप्रतिमालाकरस्थापितकी।स्थानीयलोगोंकीसहायतासेमंदिरकीदेखभालशुरूहुईतथास्व.मैनेजरगिरीकोपुजारीबनायागया।वर्तमानमेंउनकेपुत्ररामश्रेष्ठगिरीपुजारीहैं।बतायाजाताहैकिसुदर्शनमहाराजकीपत्नीकृष्णासिंहकीमातामेंबहुतश्रद्धाथी।वहघरेलूकार्योंकोनिबटानेकेबादघंटोंमाताकीसेवामेंरहतीथी।
कहतेहैंमाताकालीकीमहिलाअपरंपारहै।यहांकालेपत्थरऔरसीमेंटनिर्मितमाताकालीकीदोप्रतिमाएंहैं।यहांपहुंचेश्रद्धालुकभीखालीहाथनहींलौटते।मांकेदर्शनमात्रसेउनकीसारीपरेशानीदूरहोनेकेसाथहीआगेकामार्गप्रशस्तहोजाताहै।लोगोंकोमाननाहैकिऐसेकईलोगोंपरमाताकीकृपाबरसतीहैऔरवेवर्तमानमेंख्यातिकेशिखरपरहैं।चौकहोनेकेबावजूदमंदिरमेंप्रवेशकरतेहीअसीमशांतिकाअनुभवहोताहै।माताकेदर्शन-पूजनसेअलौकिकताकाअहसासभक्तोंकोहोताहै।किसीभीशुभकार्यकेपूर्वलोगयहांमाथाजरूरटेकतेहैं।कालीमंदिरसीतामढ़ी-मुजफ्फरपुरमुख्यसड़कपरडुमराकेशंकरचौकपरहै।डुमराबसस्टैंड,सीतामढ़ीबसस्टैंडवरेलवेस्टेशनसेऑटोपकड़करयहांतकपहुंचाजासकताहै।कोट:
माताकीपूजातथाआरतीप्रतिदिनसुबहशामहोतीहै।इसमेंस्थानीयएवंबाहरसेआएभक्तभीशामिलहोतेहैं।यहांकालेपत्थरऔरसीमेंटनिर्मितमाताकालीकीदोप्रतिमाएंहैं।प्रतिदिनदोनोंकेश्रृंगारकेबादपूजाहोतीहै।आरतीकेबादप्रसादवितरणहोताहै।
---रामश्रेष्ठगिरी,पुजारी,कालीमंदिर
मंदिरकेसंचालनऔरव्यवस्थामेंस्थानीयलोगोंकाअहमयोगदानरहताहै।विशेषआयोजनोंपरस्थानीयकेसाथहीबाहरकेश्रद्धालुभीखुलेदिलसेसहयोगकरतेहैं।पुजारीतथामंदिरकेसेवककोयहांरहनेएवंखानेकीसुविधाउपलब्धहै।
--पंकजकुमारसिंह,संरक्षक,कालीमंदिर