जागरणसंवाददाता,ऊना:प्राचीनमहादेवमंदिरकोटलाकलांमेंशिवपुराणकथाशुरूहुई।महंतमंगलानंदनेपूजा-अर्चनाकरइसकीशुरुआतकी।श्रीकृष्णनिवासहरिद्वारकेगिरधरगिरिमहाराजनेकथाशुरूकरतेकहाकिभगवानशिवसबकीमनोकामनापूर्णकरनेवालेदेवताहैं।शिवपुराणकोस्वयंशिवनेगायाहैऔरइसकीरचनाभगवानशिवनेकीहै।भगवानशिवनेपहलीकथानंदकिशोरकोसुनाई।वहांसेसंतकुमार,फिरब्यासजी,उसकेउपरांतशुकदेवनेयहकथाऋषियोंकोसुनाई।
कहाशिवपुराणसुननेमात्रसेउद्धारहोताहै।जीवनमेंजोहमकर्मकरतेहैं,उनकाफलपापवपुण्यकेरूपमेंमिलताहै।जीवनमेंयदिदुखआरहाहै,तोसमझलेंकिहमनेपापकिएहैं।यदिसुखमिलरहाहै,तोहमारेकर्मपुण्यहैं।पुण्यकेमार्गपरचलनाकठिनहै,लेकिनचलेहैंतोस्थिररहनाचाहिए।हमक्यापानेचाहतेहैं,किसेपानाचाहतेहैं,वोकौन,इसकापताकरनेकेलिएदिलमेंतड़पहोनीचाहिए।महाराजनेकहाकिभजनकरनाहै,तोभोजनकमकरो।भोजनउतनाकरें,जितनापचजाए।भगवानशिवजहांश्रीरामकीपूजाकरतेहै,वहींश्रीरामभीमहादेवकीपूजाकरतेहैं।गिरधरगिरिनेकहाकिजबदेवताओंकेअंदरझगड़ानहींहै,तोहमआपसमेंक्योंझगड़तेहै।