ऋषिभारद्वाज,मथुरा:भाषाभावोंकीशब्दोंमेंअभिव्यक्तिहै।जिन्हेंभावपढ़नेआगए,उन्हेंशब्दोंकीजरूरतनहीं।सुननेऔरबोलनेमेंअसमर्थबच्चेभावोंकीभाषाबोलरहेहैं।लबोंकीहरकतपकड़,इशारोंमेंअपनेजज्बातबयाकरतेहैं।शहरकीसंस्थाकल्याणकरोतिकेस्कूलमेंऐसेहीमूक-बधिरबच्चेहैं।येसाइनलैंग्वेजमेंअपनेभावव्यक्तकरतेहैं।इनमें15वर्षकीखुशीड्राइंगकीजादूगरहै।14वर्षकेरामसरनभीगजबकेडासरहैं।

मसानीरोडस्थितकल्याणंकरोतिकेसंबलविद्यालयमेंकरीब50बच्चेहैं।गोवर्धनरोडकीचारबागकालोनीनिवासीराहुल10वींकाछात्रहै।एथलेटिक्स,खो-खोवस्केटिगकाशौकीनराहुलसुननेवबोलनेमेंअक्षमहै,लेकिनसांकेतिकभाषामेंहरबातबखूबीसमझताहै।कक्षापांचकाछात्रश्रवणबैडमिटनखेलनेमेंमाहिरहै।सातवींकीजयायादवपेंसिलसेअच्छीतस्वीरबनातीहै।जयाइटावाकीरहनेवालीहै।वहचारभाई-बहनहैं।इनमेंभाईऋषभवबहनमालवीनाभीमूक-बधिरहै।11वींकीछात्राप्राचीबेहतरीनडांसरहै।येसुनऔरबोलनहींपातीहै,लेकिनसांकेतिकभाषासेअपनेमनकीबातकहनेऔरसमझनेमेंमाहिरहैं।इनबच्चोंकोयहांआठप्रशिक्षकसांकेतिकभाषासिखारहेहैं।द्विभाषीयशिवानीसिंह,कृष्णपालसिंह,अभिषेकयादव,अंशुल,मंजीत,राधा,प्रतिमावखतीजाबच्चोंकीप्रतिभासेप्रभावितहैं।कहतेहैं,बच्चोंमेंसीखनेकीनैसर्गिकक्षमताहै।वेशब्दकाकामसंकेतसेकरलेतेहैं।क्याहैसांकेतिकभाषा:

इसभाषामेंहाथकीअंगुलियोंसेविशेषसंकेतबनाकरऔरचेहरेकेभावसेअपनीबातकहीजातीहै।अंगुलियोंकेआकार,विन्यास,संचालनऔरचेहरेकेभावकोपढ़करमूक-बधिरबातसमझलेतेहैं।अंतरराष्ट्रीयसांकेतिकभाषादिवसकीशुरुआत23सितंबर,2018कोहुईथी।मूकबधिरोंकेलिएयूनाइटेडनेशननेपहलासांकेतिकभाषादिवसमनायाथा।

सामान्यबच्चोंतरहहीयेसबबातेंसमझपातेहैं।चेहरेकेभावतथाआंखोंवहाथोंकेइशारोंसेयहसारीबातबयांकरदेतेहैं।इनबच्चोंमेंप्रतिभाकीकोईकमीनहींहै।

-सुनीलशर्मा,सचिवकल्याणंकरोति

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