सुरेंद्रप्रसादसिंह,नईदिल्ली।पहलीनजरकुछअहमतथ्योंपरडालतेहैं।कृषिप्रधानऔरखाद्यान्नप्रचुरदेशभारतसेनिर्यातहोनेवालीकृषिवस्तुओंमेंफल-फूल,सब्जियां,मसाले,चाय,कॉफी,तंबाकू,नारियल,मेवाप्रमुखतासेशामिलहैं।इनमेंसेकिसीकेलिएभीन्यूनतमसमर्थनमूल्य(एमएसपी)नहींहै।जबकिएमएसपीकालगभगनब्बेफीसदहिस्सालेनेवालेधानऔरगेहूंअपनीकीमतोंकेचलतेनिर्यातबाजारसेबाहरहैं।एकऔररोचकबात-विदेशमेंभारतकीबासमतीकीमांगज्यादाहै,लेकिनयहएमएसपीसेबाहरहै।येआंकड़ेबतातेहैंकिकृषिउत्पादोंकीनिर्यातमांगबढ़ानेकेलिएसेक्टरमेंकानूनीसुधारदेशकीजरूरतहै।
ग्लोबलबाजारकासमीकरणभीगड़बड़ानेकाखतरा
अफसोसयहहैकिजिसदौरमेंइनउपायोंकीसबसेज्यादाजरूरतहै,उसीदौरमेंएमएसपीगारंटीकीमांगखड़ीहोनेलगीहै।इसनेनिर्यातकोंकीचिंताबढ़ादीहैं।इससेकोरोनाकीआपदाकोअवसरमेंबदलनेसेचूकजानेकाडरऔरबढ़गयाहै।बड़ीबातयहहैकिएमएसपीकोलेकरआंतरिकहीनहीं,ग्लोबलबाजारकासमीकरणभीगड़बड़ानेकाखतराहै।
महंगाईकाखामियाजाआमउपभोक्ताओंकोभीउठानापड़रहा
देशकेदक्षिणवपश्चिमकेराज्योंमेंबड़ेउपभोक्ताउत्तरीक्षेत्रकेराज्योंसेएमएसपीवालामहंगागेहूंलेनेसेकतरातेहैं।दरअसलउन्हेंविदेशसेअच्छीक्वालिटीवालागेहूंतुलनात्मकरूपसेसस्तेदामपरमिलसकताहै।चालूफसलवर्ष2020-21कीबातकीजाएतोगेहूंकाएमएसपी1975रुपयेहै,जबकिकईदेशोंकेनिर्यातकसिर्फ1,450रुपयेप्रतिक्विंटलगेहूंभारतीयबंदरगाहतकपहुंचानेकेलिएतैयारहैं।हालांकिसीमाशुल्ककेसहारेउनकेआयातकोरोकागयाहै।ऐसेमेंमिलोंकोभीएमएसपीवालाअनाजखरीदनापड़ताहै।इसकीवजहसेमहंगाईकाखामियाजाआमउपभोक्ताओंकोभीउठानापड़रहाहै।यानीएमएसपीएकऐसाचक्रबनगयाहैजिसकाअसरआमउपभोक्ताओंतकपहुंचताहै।ऐसेमेंदोहीखतरेहोसकतेहैं।पहलायहकिनिर्यातमेंअवरोधखड़ाहोऔरआमउपभोक्ताभीपिसे।दूसरायहकिऐसीस्थितिबनेजिसमेंआयातितकृषिउत्पादोंसेबाजारपटजाए।पहलेसेहीखाद्यान्नप्रचुरदेशकेलिएइनदोनोंमेंसेकोईभीस्थितिअपेक्षितनहींहै।
गेहूं,चावलवचीनीकेमामलेमेंभारतसरप्लसदेश
सरकारनेवर्ष2022तककृषिनिर्यातकोबढ़ाकर60अरबडॉलरतकपहुंचानेकालक्ष्यनिर्धारितकियाहै,जिसेनिकटभविष्यमें100अरबडॉलरतकलेजानेकीउम्मीदहै।सरकारकीमंशाअपनीकृषिनिर्यातनीतिमेंभारतकोशीर्ष10कृषिउत्पादनिर्यातकरनेवालेदेशोंकीसूचीमेंशामिलकरनाहै।फिलहालभारतकीवैश्विककृषिनिर्यातमेंहिस्सेदारीमात्र2.2फीसदहै,जिसेबढ़ानेकीअपारसंभावनाएंहैं।गेहूं,चावलवचीनीकेमामलेमेंभारतखपतसेअधिकउत्पादनयानीसरप्लसवालादेशबनचुकाहै।
एमएसपीकेकारणगन्नाकिसानोंकाभुगतानकरनेमेंमुश्किलें
देशमेंएकमात्रफसलगन्नाहैजिसकेसमर्थनमूल्यकीगारंटीदीगईहै।नतीजासबकेसामनेहै।अधिकलागतमूल्यकेचलतेवैश्विकबाजारमेंभारतीयचीनीकीपूछनहींहै।इधरउनराज्योंमेंभीखरीदकीगारंटीकेचलतेगन्नेकीखेतीहोनेलगीजहांपानीकीबहुतकमीहै।सरप्लसचीनीनिर्यातकेलिएसरकारकोपिछलेदोतीनसालोंसेजहांलगातारसब्सिडीदेनीपड़रहीहैवहींदूसरीओरमिलोंकीआर्थिकहालतखराबहोनेसेगन्नाकिसानोंकाभुगतानकरनेमेंमुश्किलेंआरहीहैं।
मांगआधारितखेतीपरजोरदेनेकीजरूरत
सब्सिडीकेसहारेकुछजिंसोंकेनिर्यातकीकोशिशकीगईहैं,जिनमेंचीनीवगेहूंप्रमुखहैं।हालहीमें60लाखटनचीनीनिर्यातकेलिएनिर्यातसब्सिडीकाप्रविधानकियागयाहै।पिछलेसालभीचीनीनिर्यातकेलिएलगभग800करोड़रुपयेकीनिर्यातसब्सिडीजारीकरनीपड़ी।समर्थनमूल्यकास्तरलागतमूल्यसेअधिकहोनेकीवजहसेहीगेहूंनिर्यातकीसंभावनाएंबिल्कुलनहींबनपारहीहैं।निर्यातसब्सिडीकोलेकरविश्वव्यापारसंगठन(डब्ल्यूटीओ)मेंकईबारभारतकीसाखपरबट्टालगचुकाहै।विश्वबाजारमेंअपनीपैठमजबूतकरनेकेलिएमांगआधारितखेतीपरजोरदेनेकीजरूरतहै।
निर्यातसब्सिडीकोलेकरडब्ल्यूटीओमेंशिकायत
कृषिअर्थशास्त्रीडॉ.पीकेजोशीकाकहनाहै,'विश्वव्यापारसंगठन(डब्ल्यूटीओ)कासदस्यहोनेकेनातेग्लोबलबाजारमेंखरीद-बिक्रीकेलिएभारतकईनियमोंसेबंधाहुआहै।इसकेबावजूदसरकारकईबारअपनेकिसानोंवउपभोक्ताओंकेहितोंकेमद्देनजरउननियमोंकोनजरअंदाजभीकरतीरहीहै।दोवर्षपूर्वगेहूंआयातपरभारतद्वाराशुल्कलगानेकेमामलेमेंडब्ल्यूटीओकेसदस्यदेशोंनेविरोधकियाकियाथा।चीनीनिर्यातसब्सिडीकोलेकर11गन्नाउत्पादकदेशोंनेडब्ल्यूटीओमेंशिकायतदर्जकराईहै।
चीनसेसीखनेकीजरूरत
यहभीध्यानरहेकिकभीचीनीऔरचावलउत्पादनकाबड़ानिर्यातकरहेचीननेअबदोनोंवस्तुओंकाआयातशुरूकरदियाहै।इनकीजगहउसजोतमेंचीननेउनवस्तुओंकाउत्पादनशुरूकियाजिनकीवैश्विकमांगज्यादाहै।इससेचीनकीकमाईभीबढ़ेगीऔरचावलतथागन्नाउत्पादनमेंहोनेवालेप्राकृतिकसंसाधनकादोहनभीकमहोगा।चीननेमोटाचावलभारतसेमंगानाशुरूकियाहैभारतीयनिर्यातकएजेंसीखुलेबाजारसेखरीदकरउसकानिर्यातकरतीहैं।एमएसपीकीगारंटीहुईतोऐसीएजेंसियोंकेहाथ-पैरभीबंधजाएंगे।