संवादसहयोगी,करौं(देवघर):सिरियांगांवनिवासीजितेन्द्रप्रसादचौधरीशिक्षाकेसाथपर्यावरणकेपहरेदारबनगएहैं।तकरीबनछहवर्षोंसेसवाएकड़बंजरजमीनमेंफलदारपेड़लगाकरक्षेत्रकेलिएअनुकरणीयबनगएहैं।उन्होंनेकड़ीमेहनतसेघाटपहरीस्थितबंजरजमीनपर125पेड़लगाकरक्षेत्रकोहरियालीमेंबदलदियाहै।

शिक्षाकेसाथपर्यावरणसरंक्षण

वेवर्ष2004सेकरौंमेंशांतिनिकेतनआवासीयविद्यालयसंचालितकरलगभगपांचसौबच्चोंकोपढ़ारहेहैं।बच्चोंकोपर्यावरणकापाठपढ़ानेकेदौरानउनकेमनमेंपेड़लगानेकीभावनाजगी।घाटपहरीस्थितपथरीलावबंजरपड़ीजमीनमेंपेड़लगानेकासंकल्पलेकरप्रयासशुरूकिया।वर्ष2011मेंनर्सरीसेपेड़मंगवाकरउसेलगायागया।लेकिनशुरुआतीदौरमेंपौधोंकोजीवितरखनाहीबहुतबड़ीचुनौतीथी।पटवनकेलिएथोड़ीदूरसेपानीकीव्यवस्थाकरनीपड़ी।लेकिनउन्होंनेहिम्मतनहींहारी।बीडीओसेमनरेगाकेतहतसिचाईकूपदेनेकीगुहारलगायी।बीडीओनेतत्कालसिचाईकूपस्वीकृतकरदिया।

वर्तमानमेंपर्यावरणसरंक्षणजरूरी

वर्तमानमेंपर्यावरणकासरंक्षणकरनाबहुतजरूरीहैं।ऐसेमेंप्रत्येकव्यक्तिकायहदायित्वबनताहैकिवेधरतीकोहरा-भरा,सुंदरएवंजीवनोपयोगीबनाकररखे।इसकेलिएपेड़लगानाआवश्यकहै।जितेन्द्रप्रसादचौधरी,प्राचार्य,शांतिनिकेतनआवासीयविद्यालय

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