ओयल(लखीमपुर):लखीमपुरशहरसे12किमीकीदूरीपरस्थितकस्बाओयलकेमुहल्लाशिवालामेंस्थितमेढकमंदिरमेंस्थापितनंदीजीकीमूर्तिखड़ीहुईहै।इसकेलिएइसमंदिरकीपूरेदेशमेंअलगपहचानहै।यहांप्रतिदिनकस्बेकेसाथआसपासकेगांवोंसेलेकरशहरोंकेलोगपूजन-अर्चनकोआतेहैं।महाशिवरात्रिकेपावनअवसरपरसुबह-सुबहसर्वप्रथमयहांकेराजाविष्णुनारायणदत्तसिंहकापरिवारपूजन-अर्चनकरनर्मदेश्वरजीकाआशीर्वादलेताहै।जिसकेबादशिवभक्तोंकेलिएकपाटखोलदिएजातेहैं।सावनमासमेंयहांपरकांवड़ियांभीकाफीदूर-दूरसेजलाभिषेककोआतेहैं।यहहैइतिहास..
इसमंदिरकानिर्माणकरीब220वर्षसेभीअधिकपूर्वतत्कालीनओयलस्टेटकेराजाबख्शसिंहनेकरवायाथा।जानकारबतातेहैंकिउसवक्तराजानेयुद्धमेंजीतेहुएधनकेसदुपयोगऔरराज्यमेंसुखशांतिवसमृद्धिकेलिएइसकानिर्माणकरवायाथा।दूसरीबातएकऔरबतातेहैंकिउसवक्तअकालसेबचनेकेलिएकिसीतांत्रिककीसलाहकेबादइसकानिर्माणकरवायागयाथा।
मंदिरकेपुजारीशांतीतिवारीबतातेहैंकिमैंकरीब14वर्षसेनितदिनमंदिरकापूजन-अर्चनकरताहूं,यहमंदिरअपनीऐतिहासिकवप्राचीनताकेलिएजानाजाताहै,इसकीकईविशेषताएंहैं।इसमेंस्थापितशिवलिगदिनमेंतीनबाररंगबदलताहै,उक्तस्थापितशिवलिगनर्मदानदीसेलायागयाथा।इसीलिएशिवलिगकोनर्मदेश्वरजीमहाराजकानामदियागया।पूरेमंदिरपरराजस्थानीस्थापत्यकलाप्रदर्शितकीगई,जोकिअपनेमेंविशेषहै।पूरामंदिरमंडूकयंत्रपरआधारितहै।मंदिरकेसबसेऊपरलगाछत्रपूर्वमेंसूर्यकीकिरणोंकीदिशामेंघूमतारहताथावोअबक्षतिग्रस्तहोगयाहै।