अशर्फीपाठक,गजाधरपुर(बहराइच):यदिबच्चेविद्यालयनहींपहुंचसकतेतोविद्यालयकोबच्चोंतकपहुंचनाहोगा।स्वामीविवेकानंदकायहकथनस्वातीपाठककाध्येयवाक्यहै।इसवाक्यकोआत्मसातकरतेहुएउन्होंनेअशिक्षाकेअंधेरेमेंशिक्षाकीज्योतिजलारखीहै।घर-गृहस्थीकेकार्योंकेबाददिनमेंतीनघंटेवहअपनेघरमेंबच्चोंकीक्लासलगातीहैं।इसमेंऐसेबच्चेपढ़नेआतेहैंजोकिसीकारणवशनहींजासकेहैंयाफिरगुरबतकेचलतेपढ़ाईनहींकरपातेहैं।सरकारीसुविधाओंसेलैसपरिषदीयविद्यालयोंकेलिएयहपाठशालानजीरहै।
जिलामुख्यालयसेलखनऊहाइवेपर25किमीचलनेकेबादगजाधरपुरकस्बापड़ताहै।यहांसेदोकिमीकालंबासंपर्कमार्गटेंडवाअल्पीमिश्रकोपहुंचताहै।यहांकीरहनेवालीस्वातीपाठकडॉ.राममनोहरलोहियाअवधविश्वविद्यालयसेस्नातककरनेकेसाथहीबच्चोंकेउत्थानवसमाजसेवाकाजोबीड़ाउठायावहउसेबखूबीनिभारहीहैं।इसमेंउनकेपतिवेदप्रकाशपाठककाभीअहमसहयोगहोताहै।एकलविद्यालयअभियानसेजुड़करवेगांवकेबच्चोंकोशिक्षितकरनेकाकामकररहीहैं।घर-गृहस्थीसंभालनेकेसाथहीस्वातीबच्चोंकोआधारभूतशिक्षाकेसाथसामाजिकमूल्योंवभारतीयसंस्कृतिकापाठपढ़ारहीहैं।प्रतिदिनशामकोतीनघंटेकेलिएकक्षाएंचलतीहैं।मौजूदासमयमें30बच्चेपढ़नेकेलिएआतेहैं।इनबच्चोंको¨हदी,अंग्रेजी,गणितकेअलावाप्रार्थना,कहानियां,बालगीतवभजनभीसिखायाजाताहै।वहकहतीहैंखेल-खेलमेंबच्चोंकोबच्चोंकोकुछऐसासिखायाजासकताहै,जोउनकेजीवनमेंकाफीउपयोगीहोसकताहै।