उत्तराखंडमेंजलधाराओंकानिरंतरसूखनाबड़ीचिंताकाकारणहै।इन्हेंपुनर्जीवितकरनेकेलिएसरकारकोगंभीरतासेकदमउठानेहोंगे।
देशकेअन्यहिस्सोंकीभांतिउत्तराखंडमेंभीसूखतीजलधाराएंचिंताकासबबबननेलगीहैं।नीतिआयोगकीरिपोर्टपरहीगौरकरेंतोपिछलेडेढ़सौसालोंमेंउत्तराखंडमें360जलधाराओंमेंसे300यातोसूखचुकीहैंयाफिरसूखनेकेकगारपरहैं।नसिर्फग्लेश्यिरोंसेनिकलनेवालीजलधाराएं,बल्किनदियोंकोजीवनदेनेवालेप्राकृतिकजलस्रोतभीसूखरहेहैं।वहीं,उत्तराखंडविज्ञानएवंअनुसंधानकेंद्र(यूसर्क)कीरिपोर्टबतातीहैकिराज्यमेंतकरीबन40फीसदनदियांअपनास्वरूपबदलरहीहैं।तस्वीरबतातीहैकिगंगा,यमुनाजैसीनदियोंकेउद्गमवालेइसराज्यमेंहालातकिसकदरविकटहोतेजारहेहैं।कारणोंकीतहमेंजाएंतोमानवजनितकारणोंकीवजहसेहीनदियांऔरजलस्रोतदमतोड़रहेहैं।नदियोंवजलस्रोतोंकेइर्द-गिर्दबड़ेपैमानेपरअतिक्रमण,लगातारहोरहापेड़ोंकाकटान,जलसंरक्षणमेंसहायकपौधोंकेरोपणकीअनदेखी,विकासऔरपर्यावरणमेंसामंजस्यकाअभाव,प्राकृतिकआपदाएंऐसेकारणहैं,जिनकासीधाअसरयहांकीजलधाराओंवजलस्रोतोंपरपड़ाहै।जाहिरहैकिइनकेसिमटनेसेसमस्याजीवनकीपहलीजरूरतपानीकेसंकटकेरूपमेंसामनेआईहै।अबतोइसकेदुष्परिणामनजरभीआनेलगेहैं।उत्तराखंडजलसंस्थानकी2005-06कीरिपोर्टपरगौरकरेंतोप्रदेशमेंहजारोंकीसंख्यामेंप्राकृतिकजलस्रोतसूखेहैं।साफहैकिइसकेचलतेराज्यकेतमामहिस्सोंमेंपेयजलसंकटभीगहरायाहै।जाहिरहैकिजलधाराओंऔरजलस्रोतोंकोफिरसेपुनर्जीवनदेनेकेलिएठोसएवंप्रभावीपहलकीदरकारहै।
नीतिआयोगनेभीइसकेलिएशॉर्ट,मिडऔरलॉंगटर्मप्लानतैयारकरनेकासुझावदियाहै।हालांकि,सूखतेजलस्रोतवजलधाराएंराज्यसरकारकीचिंतामेंभीशुमारहैंऔरइसकड़ीमेंराज्यमेंदमतोड़तीरिस्पनाऔरकोसीनदियोंकोपुनर्जीवितकरनेकीकवायदप्रारंभकीगईहै।साथहीजलस्रोतोंकोरीचार्जकरनेकेलिएवर्षाजलसंरक्षणकोपारंपरिकतौरतरीकोंखाल-चाल(छोटे-बड़ेतालाबनुमागड्ढे)परफोकसकियागयाहै।तमामविभागोंकोइससेजोड़ागयाहै।निश्चितरूपसेयेपहलसराहनीयहैं,लेकिनइतनेभरसेकामनहींचलेगा।सरकारकोचाहिएकिवहविषयविशेषज्ञोंकेसाथहीआलाअधिकारियोंकेसाथबैठकरजलधाराओंवप्राकृतिकजलस्रोतोंकोफिरसेनयाजीवनदेनेकेलिएनीतिआयोगकेसुझावोंकेअनुरूपकार्ययोजनातैयारकरइसेधरातलपरउतारनासुनिश्चितकरे।इसमेंउनप्रयासोंकोभीमहत्वदियाजानाचाहिए,जहांजलस्रोतोंकेपुनर्जीवनकेप्रयाससफलहुएहैं।उम्मीदकीजानीचाहिएकिसरकारइसदिशामेंगंभीरतासेठोसपहलकरेगी।
[स्थानीयसंपादकीय:उत्तराखंड ]