शैलेंद्रगोदियाल,उत्तरकाशी:सदियोंपुरानेऐतिहासिकसाक्ष्योंमेंपत्थरोंपरउकेरीगईकलाकृतियांऔरशिलालेखप्रमुखहैं।जोआजभीहमेंसदियोंपुरानीसंस्कृतिऔरसभ्यतासेरूबरूकरातीहैं।ऐतिहासिकइमारतोंऔरमंदिरोंकोदेखकरपर्यटकपत्थरशिल्पियोंकीरचनात्मककुशलताकीतारीफकरतेहैं।शिल्पकारोंद्वारासदियोंपुरानीपत्थरकीनक्काशीकेदेशभरमेंकरोड़ोंअवशेषअभीभीऐतिहासिकसाक्ष्यकेरूपमेंविश्वप्रसिद्धहैं।लेकिनवर्तमानदौरमेंपत्थरनक्काशीकेशिल्पकारोंकीकद्रनहींहै।आधुनिकताकेदौरमेंउत्तराखंडमेंभीपत्थरशिल्पीइसव्यवसायकोछोड़रहेहैं।सरकारीस्तरपरभीइसव्यवसायकोप्रोत्साहननहींमिलाहै।यहीहालरहातोपत्थरशिल्पीअबबीतेजमानेकीबातहोजाएंगे।
सीमांतजनपदउत्तरकाशीमेंकईऐसेमंदिर,स्थलऔरभवनहैं,जोअपनीऐतिहासिकताकोसमेटेहुएहैं।उत्तरकाशीमेंकईऐसेऐतिहासिकसाक्ष्यपूर्वमेंमिलचुकेहैं।जोसदियोंपुरानीसांस्कृतिकविरासतकोदर्शातीहै।पहाड़केगांवोंमेंआजभीपुरानेजांदरे(हथचक्की),सिलबट्टे,छोटे-छोटेपत्थरकीमूर्तियांसहितमंदिरोंऔरभवनोंपरपत्थरकीनक्काशीमिलतीहै।इससदियोंपुरानीविरासतकोआजकेआधुनिकयुगमेंहमतकपहुंचानेवालेपत्थरशिल्पियोंकोसबसेबड़ायोगदानहै।लेकिन,वर्तमानदौरमेंपत्थरशिल्पियोंकेसामनेआजीविकाकासंकटहै।आधुनिकताऔरप्रचार-प्रसारकीकमीकेकारणयहसमृद्धआजीविकाकास्रोतदमतोड़रहाहै।
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हस्तशिल्पियोंकाकहनाहैकिसमयकेसाथभवनोंकेबदलतेस्वरूपनेभीपहाड़मेंइसव्यवसायकोकाफीहदतकप्रभावितकियाहै।जिसकेकारणपत्थरोंकेशिल्पियोंकोजांदरे(हथचक्की),सिलबट्टे,छोटे-छोटेपत्थरकीमूर्तियांसहितमंदिरोंऔरभवनोंपरपत्थरकीनक्काशीकरानेवालेकद्रदाननहींमिलरहेहैं।शिल्पकारराजेंद्रनाथकहतेहैंकिएकसमयपरजबपहाड़ोंमेंहरस्थानपरपत्थरोंऔरमिट्टीकेभवनबनतेथे,उससमयउनकेगांवऔरआसपासकेगांवकेशिल्पकारोंकीबहुतमांगहोतीथी।
साथहीजांदरोंऔरसिलबट्टेकाभीक्षेत्रीयबाजारथा।लेकिनआजअगरमंदिरोंमेंकहींकाममिलगयातोठीक,लेकिनउसकेअलावाकहींभीअबइनपत्थरशिल्पकारोंकेलिएबाजारउपलब्धनहींरहगयाहै।जिससेउनकेसामनेआर्थिकसंकटखड़ाहोगयाहै।उत्तरकाशीश्रीकोटगांवकेशिल्पकारदिनेशखत्रीकाकहनाहैकिउनकापरिवारपीढ़ीदरपीढ़ीइसकार्यकोकररहाहै।रोजगारकेनामपरकभी-कभारएकमूर्तिऔरसिलबट्टेबिकजातेहैं।लेकिनआजतकसरकारनेइससमृद्धविरासतकोसंजोएरखनेकेलिएकोईसकारात्मककदमनहींउठायाहै।जिससेअबनईपीढ़ीकाइसअमूल्यकलासेमोहभंगहोताजारहाहै।
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