सीतामढ़ी।भिक्षाकीपरंपराआदिकालसेचलीआरहीहै।आदिकालमेंगुरुकुलसंचालनकीबातहोअथवाऋषिमुनियोंकीबातआतीहै,तोभिक्षाशब्दकीचर्चाजरूरहोतीहै।यहपरंपराआजभीफल-फूलरहीहै।मुख्यालयडुमरासेमहजढाईकिलोमीटरदूरमिर्जापुरपंचायतमेंएकबस्तीहै,फकीरटोला,जहांआजभीलोगभीखमांगकरगुजाराकरतेहैं।सुबहहोतेहीयहांकेलोगनित्यक्रियासेनिपट,भिक्षाटनकेलिएनिकलपड़तेहैं।शामहोतेहीघरलौटजातेहैं।दिनभरकेभिक्षाटनमेंजोकुछभीमिलताहै,रातकोपूरेपरिवारकेसाथग्रहणकरतेहैंऔरअल्लाहकानामलेकरसोजातेहैं।हालांकिअबइसबस्तीकेअधिकांशलोगभिक्षाटनपेशाकोत्यागकरमेहनतऔरमजदूरीकीओरमुखातिबहोरहेहैं।लेकिनबुर्जुगआजभीभिक्षाटनकोअपनापेशामानरहेहैं।स्थानीयजनप्रतिनिधिएवंअधिकारीइसगांवमेंमूलभूतसुविधाउपलब्धकरानेकीपहलशुरूकीहै।करीब150कीआबादीवालेइसटोलेमेंअभीभीमूलभूतसुविधाओंकाअभावदिखताहै।60वर्षीयफकीरजुमरातीशाहकहतेहैंकिवर्षोंपूर्वबाबा-दादाभीभीखमांगगुजाराकरतेथे।धीरे-धीरेपरिवारबढ़तागयाऔरआजयहटोलाबनगयाहै।भीखमांगनेकेकारणहीइसटोलेकानामफकीरटोलापड़ा।नएलड़कोंकोभीखमांगनेमेंमननहींलगताहै,इसलिएवेमजदूरीकरनेलगेहैं।लेकिनहमलोगआजभीभीखमांगतेहैं,हमसेदूसराकामनहींहोसकता।वहींरसूलफकीर,चुल्हाईसाह,गुलबहारशाह,मो.फगूनीसाह,आवनाखातून,रविनाखातून,हलीमाखातून,नूरजहांआदिभीखमांगनेकीप्रथाकोमुख्यपेशामानतेहैं।जबभीकोईसूट-बूटमेंअपिरचितव्यक्तिइसटोलामेंप्रवेशकरताहैतोटोलाकेलोगजुटजातेहैंऔरआशाभरीनिगाहसेदेखतेहैं।लेकिनयुवामेहनतमजदूरीकरजीवनयापनकरनेमेंविश्वासरखतेहै।

By Duffy