चवल के पन से बल कैसे बढ़ए

वास्तव में मतांतरण किसी व्यक्ति की उपासना पद्धति में बदलाव मात्र नहीं होता है। दरअसल इससे आस्थाएं बदल जाती हैं। पूर्वजों के प्रति भाव बदल जाता है। जो पूर्वज पहले पूज्य होते थे, मतांतरण के बाद वही घृणा के पात्र बन जाते हैं। खानपान बदल जाता है। पहनावा बदल जाता है। संस्कार बदल जाते हैं। नाम बदल जाते हैं। जिनका अर्थ खुद को भी नहीं पता होता ऐसे नाम रख दिए जाते हैं। आदित्य उमर हो जाता है। सामाजिक दृष्टि से मतांतरण का वास्तविक अर्थ राष्ट्रांतरण अधिक लगता है। शायद इसीलिए स्वामी विवेकानंद ने भी कहा था कि अगर कोई मतांतरण होता है तो एक हिंदू घट गया ऐसा नहीं है, बल्कि देश में एक शत्रु बढ़ जाता है। महात्मा गांधी भी मतांतरण का तीव्र विरोध करते थे। स्वामी जी और गांधी जी ने तो उस दौर में मिशनरियों द्वारा भारतीयों को ईसाई बनाने के षड्यंत्र पर अपने भाव व्यक्त किए थे, लेकिन आज एक और धर्म समुदाय के भटके हुए लोग इस आपराधिक काम में जुट गए हैं। निश्चित रूप से देश विभाजन के समय गांधी जी ने इसकी कल्पना नहीं की होगी।

अदालत ने पूछा-तेजाब पीड़िता को मुआवजे का निर्

Sep 03, 2022 Duncan

नयीदिल्ली,13मई(भाषा)दिल्लीउच्चन्यायालयनेसोमवारकोयहांराज्यविधिकसेवाप्राधिकरण,डीएसएलएसएसेपूछाकिवहतेजाबपीड़ितोंकोदिएजानेवाल